कृष्ण लला विराजमान भयै, महंत भयै अब दासा,
लड्डू बंट गए अब फिर से प्रसाद बटे बताशा,
अब तो सबको ही लगती मुगलों की गड़बड़ राशि,
अयोध्या के बाद टोली चलेगी मथुरा-काशी....
कृष्ण लला विराजमान भयै, महंत भयै अब दासा,
लड्डू बंट गए अब फिर से प्रसाद बटे बताशा,
अब तो सबको ही लगती मुगलों की गड़बड़ राशि,
अयोध्या के बाद टोली चलेगी मथुरा-काशी....
3 टिप्पणियाँ
Sir aap writing me bahut mistake karte ho image ko line kucch aur and Text ki line kucch aur
जवाब देंहटाएंBy the way bahut accha likha apne
Sahi kaha abbu toh jana hi padega
जवाब देंहटाएंBariya likha hai
जवाब देंहटाएंIf you have any new shayari ,then please share on contact form.
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