दूर हो फिर भी ना जाने क्यों पास लगती हो तुम,
इन लाखों की भीड़ में क्यों ख़ास लगती हो तुम,
आखिर एक बार आओ और बताओ ज़रा हमें
क्यों हर पल हर लम्हों का एहसास लगती हो तुम...
दूर हो फिर भी ना जाने क्यों पास लगती हो तुम,
इन लाखों की भीड़ में क्यों ख़ास लगती हो तुम,
आखिर एक बार आओ और बताओ ज़रा हमें
क्यों हर पल हर लम्हों का एहसास लगती हो तुम...
3 टिप्पणियाँ
Bahot nice
जवाब देंहटाएंNice..lines
जवाब देंहटाएंbahut khub bhai
जवाब देंहटाएंIf you have any new shayari ,then please share on contact form.
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